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मंगलवार, जुलाई 19, 2022

जालोड़ा में आज भी सदियों पुरानी परंपरा। एक ही आवाज में इकठा हो जाता है पूरा गांव



हेलो दोस्तो में हु मेरदीन कल्लर Merdeen kallar आज आपके लिए लेकर आया हु हमारे गांव  एक ऐसी दिलचस्प जानकारी जो शायद ही कही अपने देखी हो। दोस्तो दुनिया में यू तो कई तरह की रीति रिवाज है कई अलग अलग नियम व्यस्थाये है और आज के डिजिटल युग मे तो ओर भी कई तरह की चीजें जो हर कोई अपने अपने स्तर पर अपनी अलग पहचान रखती ही है  । और तो ओर आज के युवाओं की सोच जो समय के साथ साथ बदलती जा रही है । बुजुर्गों की सोच से अगर युवाओ की सोच की तुलना करें तो बहुत फर्क महसूस होता है। और तो ओर यकीन भी नही होता बुजुर्गों को युवाओ की सोच पर ओर युवाओ को बुजुर्गों की सोच पर। ओर आज कल किसी को अपने यहां आमंत्रित करना हो तो आज कल तो व्यक्तिगत फोन या बुलावा आये तभी लोग उसको अपना खास मित्र मानकर बुलावा स्वीकार करते है। लेकिन हमारे गांव जालोड़ा में आज भी एक ऐसी परंपरा है जो वाकई अजीबो गजब है।  क्या आप यकीन करेंगे कि कोई एक शख्स जोर से गांव में आवाज लगाये ओर पूरा गांव उसको आमंत्रण मान के उसके घर पहुच जाए। जी हां बिल्कुल पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर मे जालोड़ा पोकरण गांव में आज भी ऐसा ही होता है। शादी व्याव हो या सगाई संबंध जब गांव में रैवण की जाती है तब गांव में किसी को घर घर जा के या किसी को व्यक्तिगत आमंत्रण की जरूरत नही है । जब किसी के घर रैवण हो तो गांव के बीच जा कर एक ऊंची जगह पर चढ़ कर जोर से चार पांच आवाज लगाई जाती है जिसमे किसके घर  रैवण है और किस तरह की रैवण है जैसे सगाई या बारात वापस आना या बेउँदा ( मुकलावा ) का ज़िक्र कर के वही आवाज चार से पांच बार जोर से दोहराई जाती है। उसके बाद गांव के लोग सब इकठा होना छुरु हो जाते है और देखते ही देखते कुश ही समय मे आमंत्रित करने वाला घर गांव वालों से भर जाता है।

रैवण क्या है


गांव के जब भी कोई निर्णय लेना होता है या किसी की सगाई होती है या किसी के घर शादी समारोह है । उस वक़्त गांव के सभी लोगो को आमंत्रित कर के चाय पिलाई जाती है तथा गांव के सभी लोगो के समेलन को मारवाड़ में रैवण कहा जाता है।  रैवण का आयोजन तो मारवाड़ के ज्यादातर गांवों में होता रहता है। अ लेकिन जिस तरह जालोड़ा पोकरण गांव में एक ही आवाज पर लोग इकठा होते है ऐसा ओर कही नही।

मंगलवार, फ़रवरी 07, 2017

बेरिस्टर से लेकर संसद रत्न अवार्ड जीतने वाले कोन है ओवैसी और क्या है ओवैसी और Aimim का इतिहास ।।

असदुद्दीन ओवैसी का परिचय
असदुद्दीन ओवैसी का जन्म 13 मई 1969 को हैदराबाद में हुआ था। उनकी शादी 1996 में फरहीन ओवैसी से हुई थी। उनकी पांच बेटियां और एक बेटा है। उनकी आरंभिक शिक्षा 1973 से 1983 तक हैदराबाद पब्लिक स्कूल से हुई। 1984 से 1986 तक वे सेंट मैरी जूनियर कॉलेज में पढ़े। 1986-89 के दौरान उन्होंने निजाम कॉलेज से बीए किया और 1989-1994 में उन्होंने लंदन के लिंकन कॉलेज से बैरिस्टर की डिग्री हासिल की।
13 मई 1969 को हैदराबाद में जन्मे असदुद्दीन ओवैसी 2008 से ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष हैं। वे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, नई दिल्ली के संस्थापक सदस्य हैं और 1971 में स्थापित एक गैरराजनीतिक संगठन दार-उस-सलाम बोर्ड के चेयरमैन भी हैं। 1994 और 1999 में वो हैदराबाद की चारमीनार विधानसभा सीट से विधायक रहे और 2004, 2009 और 2015 में हैदराबाद लोकसभा सीट से सांसद चुने गए।
15वीं लोकसभा में असदुद्दीन ओवैसी को संसद रत्न अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स वेबसाइट के मुताबिक 2014 में असदुद्दीन ओवैसी की कुल संपत्ति 4 करोड़ से ज्यादा थी। उन पर 1 करोड़ से ज्यादा की देनदारी है। ट्विटर पर उनके 76 हजार फॉलोअर हैं। फेसबुक पर साढ़े तीन लाख फॉलोअर हैं। असदुद्दीन ओवैसी पर वर्तमान में 4 मुकदमे चल रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी को वर्ष 2005 में तेलंगाना के मेडक जिले में जिला अधिकारी को धमकी देने के आरोप में जेल भेजा गया था।
एमआईएम का इतिहास
एमआईएम की स्थापना करीब 94 साल पहले हैदराबाद में हुई थी। शुरुआत में ये एक गैरराजनीतिक संगठन हुआ करता था। इस संगठन का मकसद मुसलमानों को एक मंच पर लाना था, लेकिन बदलते दौर के साथ ये मंच पूरी तरह एक राजनीतिक पार्टी में तब्दील हो गया। देश की आजादी के 20 साल पहले हैदराबाद पर निजाम उस्मान अली खान का राज था। नवाब महमूद नवाज ने 1927 में मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लमीन नाम के सांस्कृतिक संगठन की नींव रखी। 1938 में इस संगठन का पहला अध्यक्ष बहादुर यार जंग को बनाया गया था। एमआईएम के संस्थापक सदस्यों में हैदराबाद के एक राजनेता सैयद कासिम रिजवी भी शामिल थे जो रजाकार नाम के हथियारबंद लड़ाकू संगठन के मुखिया भी थे।
कैसे राजनीतिक पार्टी बनी AMIM
हैदराबाद के भारत में विलय के बाद मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन संगठन कुछ सालों तक निष्क्रिय पड़ा रहा, लेकिन साल 1958 में एक बार फिर एमआईएम एक नई सोच के साथ राजनीति के अखाड़े में कूद पड़ा। 1958 में मजलिस इत्तेहादुल मुसलेमीन को हैदराबाद के ही मशहूर वकील मौलवी अब्दुल वहीद ओवैसी ने दोबारा सक्रिय किया था। 1959 में एमआईएम ने चुनावी राजनीति में अपना पहला कदम रखा और हैदराबाद म्यूनसिपैलिटी के उपचुनाव में वो दो सीटें जीतने में कामयाब भी रही थी। ये वो पहली जीत थी, जिसके बाद एमआईएम का उदय हुआ। 1984 के बाद से हैदराबाद लोकसभा सीट पर एमआईएम का कब्जा है। सलाउद्दीन ओवैसी हैदराबाद से लगातार छह बार सांसद रह चुके हैं। 2009 के चुनाव में एमआईएम ने विधानसभा की सात सीटें जीतीं जो कि उसे अपने इतिहास में मिलने वाली सब से ज्यादा सीटें थीं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एमआईएम ने दो सीटें जीती हैं। अब उसके निशाने पर पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य आ गए है। पश्चिम बंगाल में 25 फीसदी मुसलमान है जो तृणमूल कांग्रेस के पाले में जाते रहे हैं और एमआईएम इन राज्यों में मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है। एमआईएम ने औरंगाबाद नगर निगम चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था। एमआईएम ने यहां 25 सीटें जीतीं। इस जीत के साथ ओवैसी बंधुओं (असदुद्दीन और अकबरुद्दीन) का प्रभाव महाराष्ट्र में और बढ़ गया है। हालांकि, औरंगाबाद नगर निगम का कंट्रोल बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के पास ही है, जिन्होंने 113 में 58 सीटें जीतीं। कांग्रेस को महज 10 सीटें, जबकि एनसीपी को 3 सीटें मिलीं। अब ओवैसी बंधुओं के निशाने पर बिहार विधानसभा चुनाव है। मुस्लिम वोट बैंक को लालू का आधार वोट माना जाता है और ओवैसी अगर इस मुस्लिम बहुल इलाके में उम्मीदवार उतारते हैं तो फिर लालू-नीतीश के वोट बैंक में सेंध लगना तय माना जा रहा है।
औवेसी की ताकत का राज
असदुद्दीन औवेसी की राजनीतिक शैली और आक्रामकता उन्हें दूसरे अल्पसंख्यक नेताओं से अलग खड़ा करती है। उनकी ताकत है मुद्दों पर पकड़, बातचीत का स्पष्ट व तर्कपूर्ण लहजा तथा उग्रता। यही वजह है कि उन्हें आजम खान और अबु आजमी की कतार में नहीं खड़ा किया जाता। बात चाहे संसद में बोलने की हो या किसी इंटरव्यू में पत्रकारों के तीखे सवालों का सामना करने की, औवेसी की बातचीत में जो आत्मविश्वास और आक्रामकता दिखती है वो अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम युवाओं पर अलग प्रभाव छोड़ती है। वे सोशल मीडिया पर खासे एक्टिव हैं और इसके जरिए पब्लिक से कनेक्ट रहते हैं। न्यूक्लियर डील के समय दूसरे मुस्लिम नेताओं के विपरीत उन्होंने अमेरिका से डील का समर्थन किया था। पीएम मोदी के आह्वान पर हाल ही में उन्होंने एलपीजी गैस सब्सिडी छोड़ी और इसका फोटो ट्विटर पर शेयर किया। ओवैसी ने महाराष्ट्र में बीफ बैन का विरोध किया, लेकिन इसका कारण कोल्हापुर के चप्पल उद्योग के प्रति अपनी चिंता को बताया। याकूब मेनन की फांसी का सीधे-सीधे विरोध की बजाय राजीव गांधी के हत्यारों और देवेंद्र सिंह भुल्लर व बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की मांग की। वे ध्रुवीकरण की राजनीति करने वाले हिंदू नेताओं को उन्हीं की भाषा में जवाब देने का दावा करते दिखाई देते हैं। हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी पर उनकी अच्छी पकड़ है और वे यूपी और बिहार में मुस्लिम वोटों के भरोसे बैठे नेताओं का चुनावी गणित बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं।
असदुद्दीन ओवैसी की राजनीतिक प्रोफाइल
1994-99—विधायक, चारमीनार, हैदराबाद
1999-2003-विधायक, चारमीनार, हैदराबाद
2004-2009- लोकसभा सांसद, हैदराबाद
2004-2006-संसद की लोकल एरिया डेवलपमेंट स्कीम की कमेटी के सदस्य 2004-2006-संसद की सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण पर बनी कमेटी के सदस्य 2006-2007-रक्षा मामलों की स्थायी समिति के सदस्य
2009-2014- लोकसभा सांसद, हैदराबाद
2009-2014-रक्षा मामलों की समिति के सदस्य 2009-2014-नीतिगत मामलों की कमेटी के सदस्य 2014-अब तक-लोकसभा सांसद, हैदराबाद

सोमवार, नवंबर 21, 2016

शहीद नरपत सिंह के अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब जवानों ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर

# जैसलमेर
आज हुआ शहीद नरपतसिंह राठौड़ का अंतिम संस्कार
एस पी गौरव यादव, कलेक्टर मातादीन शर्मा, विधायक शैतान सिंह,पूर्व विधायक सालेह मोहम्मद , व सेना के अधिकारियों ने पुष्प चक्र अपित किये /आर्मी के जावानो ने जाबांज शहीद नरपतसिंह राठौड को अंतिम विदाई के लिए गार्ड ओफ ओनर दिया
CM वसुंधरा राजे के प्रतिनिधि बीज अध्यक्ष शम्भूसिंह खेतासर ने  पुष्प चक्र अर्पित कर दी  श्रद्धांजलि/  राजस्थान कॉंग्रेस अध्य्क्ष सचिन पाइलट के प्रतिनिधि पूर्व विधायक सालेमोहमद ने  पुष्प चक्र अर्पित कर दी शहीद को श्रीधँजलि  ।
इस अवसर पर जैसलमेर विधायक छोटू सिंह ,पूर्व विधायक सांग सिंह जी ,पूर्व जिला प्रमुख अब्दुल्ला फकीर ,पोकरण नगर पालिका अध्यक्ष आनंदीलाल गुचीया ,जोधपुर सांसद गजेन्द्र सिंह ,प्रभारी मंत्री अमरा राम चौधरी ,साँकडा प्रधान अम्म्तूल्ला मेहर ,भाजपा जिलाध्यक्ष जुगल किशोर व्यास ,कॉंग्रेस उपाध्यक्ष दीनेश पाल सिंह ,प्रदेश सचिव कॉंग्रेस करण सिंह उचियर्डा ,सेवादल अध्यक्ष खट्टन खा , प्रेम सिंह भजौल ,हमीर सिंह भयल ,पार्षद विजय व्यास ,सरपंच मदन सिंह राज़मथाई ,सरपंच भूर सिंह जी मोढा एवं कई गणमान्य व्यक्ति रहै मौजूद ॥

रविवार, नवंबर 20, 2016

राजमथाई का सपूत नरपत सिंह आसाम में शहीद देश भर में शोक की लहर।

  फलसूण्ड़  क्षेत्र  राजमथाई    के बेटा असम में एक आतंकी हमले में शनिवार को शहीद हुआ। जानकारी के अनुसार सेना में कार्यरत राजमथाई निवासी नरपतसिंह असम की 3-चौकियां दिग्बोई में तैनात था। ड्यूटी के दौरान बोड़ो उग्रवादियों के हमले में नरपतसिंह शहीद हो गया।
लोगासर गांव के शहीद नरपत सिंह के असम में शहीद होने की खबर लगने के बाद राजमथाई, धोलासर सहित पूरे क्षेत्र में शोक की लहर छा गई साथ ही बुजर्ग पिता सेना से रिटायर सवाई सिंह को पुत्र की शहादत की खबर के बाद सदमे में है लेकिन इन्हें भी गर्व है कि बेटा देश के काम आया शहीद राठौड़ के एक पुत्र रावल सिंह जो की तीसरी कक्षा में अध्ययनरत हैं दो बेटिया हैं शहीद होने की खबर के बाद राजमथाई धोलासर, सुभाषनगर,जालोड़ा  बांधेवा, बलाड़, भीखोडा़ई, फलसूड़ सहित अनेको गांवों के ग्रामीण शहीद परिवार को ढाढ़स देने पहुँचें दिल्ली
सूत्रों से अहम जानकारी, कल पहुंचेंगा शहीद नरपतसिंह राठौड़ का शव दिल्ली, सोमवार को वायु मार्ग से पहुंचेंगा जोधपुर एयरपोर्ट, सोमवार दोपहर तक पहुंच पाएंगे पैतृक गांव लोंगासर शव, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी श्रद्धांजलि देने पहुंच सकती शहीद के गांव, दोनों पार्टियों के दिग्गज भी श्रद्धांजलि देने पहुंचेगे शहीद के गांव, प्रशासन भी शहीद के अंतिम संस्कार की कर रहा तैयारियां।

शनिवार, अक्तूबर 29, 2016

मुस्लिम इस देश का दोयम दर्जे का नागरिक है:- मोहम्मद जाहिद

इस मुल्क में मुसलमानों के लिए अपने हक और इंसाफ की लड़ाई इतनी आसान नहीं है। जैसे मुसलमान यह लड़ाई लड़ने की शुरुआत करेंगे उनपर चौतरफा रुकावटें आने लगेंगी क्युँकि हकीकत यह है कि इस देश में मुसलमान अघोषित रूप से दोयम दर्जे का नागरिक है जहाँ उससे जुड़े मुद्दों के साथ दोगला व्यवहार किया जाता है।

दलितों जैसे भाग्यशाली नहीं हैं इस देश के मुसलमान , दलितों के साथ तो सब खड़ा हो जाता है , मीडिया , व्यवस्था , राजनैतिक दल और नेता के साथ अपने खुद के विषयों में ही सुस्त पड़ा मुसलमान भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो जाता है , रोहित वेमुला का उदाहरण हो या ऊना का उदाहरण , यह सिद्ध करते हैं कि दलितों के साथ सब हैं , निष्पक्ष रवीश कुमार भी।

परन्तु मुसलमानों के साथ ऐसा नहीं है , उनकी लड़ाई में बाधाएँ ही बाधाएँ हैं , ज़हरीले दुश्मन संघ का मुँह खोले नाग जैसा खतरा है तो भारतीय व्यवस्था का मुसलमानों की किसी भी लड़ाई से मुँह मोड़ने जैसा व्यवहार भी सामने होता है।

भारत की समस्त मीडिया में गज़ब की आपसी समझ है कि 75 चैनलों और हज़ारो समाचार पत्रों में जो एक भी मुस्लिम मुद्दों को या उत्पीड़न को अपने निष्पक्षता के सिद्धांत के अनुसार आन एयर कर देता या प्रिन्ट कर देता। 7:00 बजे से 9:00 बजे तक भूत भूतनी के लिए हर मीडिया चैनल के पास समय तो होता है पर मुसलमानों के उत्पीड़न और मुद्दे के लिए समय नहीं , उदाहरण देखिए कि मिन्हाज अंसारी का मामला 22-23 दिन पुराना हो रहा है पर मीडिया आम सहमति से आखें बंद करके भूत भूतनी का प्रोग्राम चला रहा है , नजीब भी 14 दिन से भगवा गुंडो द्वारा गायब कर दिया गया , उसकी माँ और बहन दिल्ली की सड़कों पर बिलख बिलख कर मदद की गुहार लगा रहीं हैं , जेएनयू स्टुडेन्ट यूनियन विरोध प्रदर्शन कर रहा है परन्तु  मीडिया "डीएनडी" के टोल टैक्स और निष्पक्ष रवीश कुमार O2 तथा CO2 में ही मस्त हैं।

मीडिया के बाद यह रुकावट पैदा करती है भारत की कार्यपालिका और वह इसलिए कि वह जानती है कि मुसलमानों के लिए ऊपर से कोई आदेश नहीं आएगा तो थुलथुल बनकर बैठे रहो और लीपापोती करते रहो।

भारत की न्यायपालिका मुसलमानों से अलग जुड़े किसी मुद्दे पर निष्पक्ष तो रहती है परन्तु जैसे ही एक पक्ष मुसलमान अथवा मुसलमानों से जुड़ा विषय होता है अदालत के अंदर सावरकर और गोवलकर की आत्मा घुस जाती है। मुसलमानों से जुड़े मुद्दों और घटनाओं में मनुस्मृति को उद्धत करके दिए गये फैसले इसके उदाहरण हैं , और यह जानबूझकर उद्धत किए गये।

मुसलमानों के उत्पीड़न और उससे संबंधित विषयों को लेकर देश की विधायिका भी "बैलेंसवादी" है , एक अदना सा सांसद पप्पू यादव संसद में 15 से 30 मिनट बोलने की अनुमति पा सकता है परन्तु "असदुद्दीन ओवैसी" को अनुमति सदैव 2 मिनट से 5 मिनट की ही दी जाती हैऔर इसके अतिरिक्त भी संसद सदैव मुस्लिम उत्पीड़न पर खामोश रही है , बैलेंसवाद के कारण 1 मुद्दे को यदि छोड़ दिया जाए।

मुसलमानों के संघर्ष से वह दलित भी दूर रहेगा जो अपने उत्पीड़न के मामलों में मुसलमानों से मिली मदद को लेकर इतराता है और सीना फुलाता है , मुस्लिम उत्पीड़न पर मिलकर संघर्ष करना तो दूर चुपचाप कन्नी काट लेता है , दिलीप सी मंडल जैसे दलित बुद्धिजीवी भी , कल इसी विषय पर उनकी वाल पर मैने एक सवाल पूछ लिया तो वह जवाब ना दे सके कि नजीब और मिन्हाज की लड़ाई से वह दलित दूर क्युँ हैं जो ऊना और रोहित वेमुला काँड में मुसलमानों के साथ का डंका पीटते थे।

और सबसे बड़ी समस्या राजनैतिक अस्पृश्यता पैदा करती है जब दलितों के मुद्दों पर बढ़ चढ़ कर बोलने वाले केजरीवाल , राहुल , मुलायम या मायावती मुस्लिम मुद्दों पर अंधे और बहरे हो जाते हैं। और इनको ही क्युँ दोष दें जबकि ओवैसी , आज़म , नसीमुद्दीन , गुलामनबी और उन जैसे तमाम मुस्लिम नेता ही चुप्पी साधे रहते हैं , दिल्ली से हजारों किमी दूर ऊना जाने के लिए राहुल केजरीवाल और मायावती के पास समय तो होता है परन्तु उनके घर से कुछेक 10 किमी की दूरी पर मुजीब की माँ और बहन से जाकर मिलने का समय नहीं है उनके पास , मुसलमानों का एकतरफा वोट लेने वाले मुलायम और उनके समधी लालू तथा नितीश भी उसी नीति पर चुप्पी साधे रहते हैं। क्युँकि वह अपने 7-8% गैरमुस्लिम वोट को 20% मुसलमानों की इंसाफ की लड़ाई लड़कर खोना नहीं चाहते।

और इन सब के बाद एक और रुकावट है "कोढ़ में खाज" अर्थात मुसलमानों की जो लड़ाई लड़ने की शुरुआत होती है तो उस लड़ाई की बकायदा कीमत वसूलने की कोशिश खुद उस लड़ाई को लड़ने वाले एक दो मुसलमान ही करते हैं कि उनको सारी लड़ाई का श्रेय मिले जिससे उनकी नेतागिरी चमक जाए और इसी बात पर लड़ाई दो फाड़ या चार फाड़ हो जाती है मतलब कि "खलीफा" इफेक्ट। ध्यान रखें कि उनका उद्देश्य निःस्वार्थ नहीं होता बल्कि राजनीतिक ज़मीन बनाने की भरपूर कीमत ऐसे लोग वसूलना चाहते हैं। उदाहरण देखिए

यह "कोढ़ में खाज" मुसलमानों में उनके जन्म से विरासत में मिली है परन्तु इधर जो दो मुस्लिम उत्पीड़न हुए हैं उसकी लड़ाई लड़ने वाले कुछ लोग बहुत घटिया स्तर तक लोग जा चुके हैं जिस पर सबूतों के साथ पोस्ट इस लड़ाई के सफल होने पर करूँगा।

किसी को न्याय दिलाने के लिए उसे बंधक बनाना और अपनी मर्जी से उसे बोलने और निर्णय लेने से रोकना ही यदि उसकी मदद है , उस पर पहरा लगा देना ही यदि उस हक की लड़ाई की वसूली जाने वाली कीमत है तो ऐसी हकपरस्ती पर लानत है , मिन्हाज अंसारी की पुलिस द्वारा हत्या किए जाने के बाद उसके परिवार की मदद के नाम पर उसका मानसिक टार्चर किया जा रहा है , कुछ लोगों का प्रयास है कि वह परिवार केवल उनकी उंगलियों पर नाचे और केवल उनके नाम की माला जपे और केवल उनकी ही वाह वाही करे , दरअसल यह लोग हक पसंद नहीं बल्कि "दलाल" हैं ।

बहुत से सबूत हैं मेरे पास पर फिलहाल इस पर फिर कभी , नहीं तो जो भी लड़ाई लड़ी जा रही है वह बिखर जाएगी।

कहने का अर्थ यह है कि चौतरफा बाहरी रुकावटों के बाद और इतनी मुश्किलों के बाद भी देश के मुसलमानों को यदि अक्ल नहीं तो उनका इस देश में अंजाम "अखलाक और मिन्हाज" से भी बदतर होगा ।

आप चाहें तो कहीं लिख लीजिए , क्युँकि इस देश में मुसलमान अघोषित रूप से दोयम दर्जे का नागरिक ही है।
यह आर्टिकल मोहम्मद जाहिद का है

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शुक्रवार, सितंबर 16, 2016

परमवीर चक्र वीर अब्दुल हमीद के जज्बे को दुनिया करती है सलाम।। जय हिन्द

मारवाड़ टाइम्स के लिए मेरदीन कलर
1965 का युद्ध शुरू होने के आसार बन रहे थे. कंपनी क्वार्टर मास्टर अब्दुल हमीद गाज़ीपुर ज़िले के अपने गाँव धामूपुर आए हुए थे. अचानक उन्हें वापस ड्यूटी पर आने का आदेश मिला.उनकी पत्नी रसूलन बीबी ने उन्हें कुछ दिन और रोकने की कोशिश की लेकिन हमीद मुस्कराते हुए बोले- देश के लिए उन्हें जाना ही होगा.अब्दुल हमीद के बेटे जुनैद आलम बताते हैं कि जब वो अपने बिस्तरबंद को बांधने की कोशिश कर रहे थे, तभी उनकी रस्सी टूट गई और सारा सामान ज़मीन पर फैल गया.उसमें रसूलन बीबी का लाया हुआ मफ़लर भी था जो वो उनके लिए एक मेले से लाईं थीं. रसूलन ने कहा कि ये अपशगुन है. इसलिए वो कम से कम उस दिन यात्रा न करें, लेकिन हमीद ने उनकी एक नहीं सुनी.'द ब्रेव परमवीर स्टोरीज़' की लेखिका रचना बिष्ट रावत कहती हैं, ''इतना ही नहीं जब वो स्टेशन जा रहे थे तो उनकी साइकिल की चेन टूट गई और उनके साथ जा रहे उनके दोस्त ने भी उन्हें नहीं जाने की सलाह दी. लेकिन हमीद ने उनकी भी बात नहीं सुनी.''जब वो स्टेशन पहुंचे, उनकी ट्रेन भी छूट गई थी. उन्होंने अपने साथ गए सभी लोगों को वापसघर भेजा और देर रात जाने वाली ट्रेन से पंजाब के लिए रवाना हुए. ये उनकी और उनके परिवारवालों और दोस्तों के बीच आख़िरी मुलाक़ात थी.चार पैटन टैंकों को निशाना बनाया8 सितंबर 1965, समय सुबह के 9 बजे. जगह चीमा गाँव का बाहरी इलाक़ा. गन्ने के खेतों के बीच अब्दुल हमीद जीप में ड्राइवर की बग़ल वाली सीट पर बैठे हुए थे. अचानक उन्हें दूर आते टैंकों की आवाज़ सुनाई दी.थोड़ी देर में उन्हें वो टैंक दिखाई भी देने लगे. उन्होंने टैकों के अपनी रिकॉयलेस गन की रेंज में आने का इंतज़ार किया, गन्ने की फ़सल का कवर लिया और जैसे ही टैंक उनकी आरसीएल की रेंज में आए, फ़ायर कर दिया.पैटन टैंक धू-धू कर जलने लगा और उसमें सवार पाकिस्तानी सैनिक उसे छोड़कर पीछे की ओर भागे. अब्दुल हमीद के पौत्र जमील आलम बताते हैं, ''मैं अपनी दादी के साथ सीमा पर उस जगह गया जहाँ मेरे दादा की मज़ार है.''उनकी रेजिमेंट वहाँ हर साल उनके शहादत दिवस पर समारोह आयोजित करती है. वहाँ उनकी एक ऐसेसैनिक से मुलाक़ात हुई थी जिसका लड़ाई में हाथ कट गया था. उसने उन्हें बताया था कि अब्दुल हमीद ने उस दिन एक के बाद एक चार पैटन टैंक धराशाई किए थे.दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी टैंक लड़ाईइस लड़ाई को 'असल उत्तर' की लड़ाई कहा जाता है. रचना बिष्ट रावत कहतीं हैं कि ये जवाब था पाकिस्तान को उनके टैंक आक्रमण का. उनके परमवीर चक्र के आधिकारिक साइटेशन में बताया गया था कि उन्होंने चार पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट किया था.हरबख़्श सिंह भी अपनी किताब 'वॉर डिस्पेचेज़' में लिखते हैं कि हमीद ने चार टैंकों को अपना निशाना बनाया था लेकिन मेजर जनरल इयान कारडोज़ो ने अपनी किताब में लिखा है कि हमीदको परमवीर चक्र देने की सिफ़ारिश भेजे जाने के बाद अगले दिन उन्होंने तीन और पाकिस्तानीटैंक नष्ट किए.जब वो एक और टैंक को अपना निशाना बना रहे थे, तभी एक पाकिस्तानी टैंक की नज़र में आ गए.दोनों ने एक-दूसरे पर एक साथ फ़ायर किया. वो टैंक भी नष्ट हुआ और अब्दुल हमीद की जीप केभी परखच्चे उड़ गए.इस लड़ाई में पाकिस्तान की ओर से 300 पैटन और चेफ़ीज़ टैंकों ने भाग लिया था जबकि भारत की और से 140 सेंचूरियन और शर्मन टैंक मैदान में थे.कुश्ती के शौक़ीनअब्दुल हमीद का पुश्तैनी पेशा दर्ज़ी का था लेकिन इस काम में उनका मन नहीं लगता था.उनके बेटे जुनैद आलम कहते हैं कि वो शुरू से ही सेना में भर्ती होना चाहते थे. जब गाज़ीपुर में सेना भर्ती का कैंप लगा तो हमीद भी सेना में भर्ती हो गए.उन्हें 4 ग्रेनेडियर के जबलपुर केंद्र भेजा गया. साल 1962 में चीन के ख़िलाफ़ लड़ाई में भी उन्होंने भाग लिया. उनके पौत्र जमील आलम बताते हैं कि अब्दुल हमीद का क़द छह फ़ुट तीन इंच था.उनका निशाना भी ग़ज़ब का था. शुरू से ही उन्हें कुश्ती लड़ने का शौक़ था. वो न सिर्फ़ कुश्ती लड़ते थे बल्कि बच्चों को कुश्ती सिखाते भी थे.पत्नी रसूलन बीबी का गर्वअब्दुल हमीद की मौत और भारत का सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार पाने की ख़बर उनके परिवार को रेडियो से मिली. उनकी पत्नी रसूलन बीबी इस समय 85 साल की है.वो अब ठीक से सुन नहीं सकतीं. लेकिन वो दिन अभी तक नहीं भूली हैं जब राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अब्दुल हमीद का जीता हुआ परमवीर चक्र उनके हाथों में दिया था.रसूलन कहती हैं, ''मुझे बहुत दुख हुआ लेकिन ख़ुशी भी हुई, हमारा आदमी इतना नाम करके इस दुनिया से गया. दुनिया में बहुत से लोग मरते हैं, लेकिन उनका नाम नहीं होता लेकिन हमारेआदमी ने शहीद होकर न सिर्फ़ अपना बल्कि हमारा नाम भी दुनिया में फैला दिया.''

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गुरुवार, अगस्त 25, 2016

जैसाणा के लाल के जयकारो से गूंजा जोधाणा जेएनवीयु से कुनाल सिंह भाटी की धमाकेदार जीत।।

मारवाड़ टाइम्स
गढ़ दिल्ली गढ़ आगरो गढ़ बीकानेर भली चुनाई भाटियो श्रीहो जैसलमेर।।
जैसलमेर के लाल कुणाल सिंह भाटी ने मारवाड़ के सबसे बड़े विश्व् विद्यालय जय नारायण व्यास विश्व् विद्यालय  के अध्यक्ष पद पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है ।।। अखिल भारतीय विधार्थी परिसद के कुणाल सिंह ने एनएसयूआईं के जगदीश जाखड़ तो 844 वोट से शिकस्त दी कुणाल सिंह को 4884 वोट मिले जबकि जगदीश जाखड़ को  4040 वोट मिले एसएफआई के विशाल बिश्नोई को 661 वोट मिले हरखाराम को 22 वोट मिले जब की 77 वोट नोटा के पर पड़े।।

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सोमवार, अगस्त 08, 2016

पीएम के गोरक्षा वाले बयान पर ओवैसी ने कहा- कथनी को करनी में बदलें मोदी

हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि उन्हें गोरक्षा पर अपने बयानों को कार्य रूप में परिणत करना चाहिए. ओवैसी ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान में देरी पर सवाल उठाया और कहा कि सिर्फ कुछ शब्द काफी नहीं होंगे. मोदी को दलितों और मुसलमानों में असुरक्षा के भाव को हटाना पड़ेगा.
गौरक्षक समितियां संघ परिवार से जुड़ी हुई हैं : ओवैसी
प्रधानमंत्री ने शनिवार को गौरक्षकों पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि असामाजिक तत्व गौरक्षकों का मुखौटा लगाए हुए हैं. ओवैसी ने कहा कि इन घटनाओं से जुड़ी सभी गौरक्षक समितियां संघ परिवार से जुड़ी हुई हैं. प्रधानमंत्री को कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'सवाल यह है कि क्या ये महज कुछ शब्द हैं. प्रधानमंत्री को राज्यों में अपने ही लोगों, अपनी पार्टी और भाजपा सरकारों पर लगाम लगानी होगी.'
जब अखलाक को मारा गया, प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा
ओवैसी ने यह भी कहा कि मोदी को 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान अपने गुलाबी क्रांति के बारे में दिए भाषणों पर दोबारा गौर करना चाहिए. ओवैसी ने प्रधानमंत्री से पूछा कि उन्हें इस मुद्दे पर बोलने में इतना समय क्यों लगा. ओवैसी ने कहा, 'जब अखलाक को मारा गया, प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा. झारखंड में दो मुसलमानों को मारने की घटना पर भी वह चुप रहे. जम्मू के एक ट्रक चालक की मौत की खबर पर भी प्रधानमंत्री चुप रहे.'
सभी घटनाएं उन राज्यों में हुई हैं जहां भाजपा सत्ता में है
उन्होंने कहा कि गुजरात के उना में दलितों पर उत्पीड़न का वीडियो देश के घर-घर तक पहुंच गया है, इसलिए प्रधानमंत्री को मजबूरन बोलना पड़ा है. ओवैसी ने कहा कि ये सभी घटनाएं उन राज्यों में हुई हैं जहां भाजपा सत्ता में है या संगठनात्मक रूप से मजबूत है.

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226 भारतीयों की जिंदगी बचाकर मौत को लगा लिया गले, हिंदुस्तान का सलाम 'जसिल हुसैन' को सैलूट टू जसिल हुसैन

दुबई। दुबई एयरपोर्ट पर हुए एमिरेट्स एयरलाइंस की फ्लाइट की क्रैश लैंडिंग के बादउसमें सवार सभी 300 लोगों को तो सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन इन सबको बाहरनिकालने वाला जाबांज खुद मौत के मुंह में समा गया। विमान में सवार 226 भारतीयनागरिक को सुरक्षित निकालने वाले इस जाबांज के बहादुरी को भारत समेत पूरी दुनिया सलाम करता है।जसिल इसा मोहम्मद हुसैन नाम के इस साहसी फायर फाइटर ने सर्वोच्च बलिदान देते हुए 300 लोगों को दुर्घटनाग्रस्त विमान से सुरक्षित बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाया। उसकी मौत की खबर मिलने के बाद डायरेक्टर जनरल सिविल एविऐशन अथॉरिटी सैफ अल सुवैदी ने कहा कि, 'फायर फायटर ने दूसरों की जान बचाते हुए खुद की जान दांव पर लगा दी। मैं उस साहसी युवक के अल्टीमेट सेक्रिफाइस को सलाम करता हूं। हमारी प्रार्थनाएं उसके परिवार के साथ हैं।'जनाजे को कंधा देते परिजन।दरअसल, मंगलवार को केरल के तिरुअनंतपुरम से उड़ान भरने वाला एमिरेट्स एयरलाइंस की प्लाइट ईके-521 को बुधवार को दुबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इमरजेंसी लैंडिंग करवायी गई थी। लैंडिंग के दौरान विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और हवाई पट्टी पर औंधे मुंह गिरे विमान में भीषण आग लग गई। चारों ओर धुएं के काले बादल छागए। इस बीच विमान में सवार 226 भारतीयों समेत सभी 300 लोग सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था।जोरदार धमाके में घायल हो गए थे जसिलइस हादसे के दौरान यात्रियों को बचाने के लिए बनायी गई टीम में जसिल इसा भी थे। जैसे ही विमान हवाई अड्डे पर रूका वो उसकी तरफ दौड़े और यात्रियों को बाहर निकालने लगे। लेकिन, जैसे ही सभी यात्री बाहर निकले विमान में एक जोरदार धमाका हुआ और इसमें जसिम घायल हो गए। लेकिन, चोट काफी गंभीर होने की वजह इस बहादुर जवानको नहीं बचाया जा सका।जसिल इसा मोहम्मद हुसैन (फाइल फोटो)।सिविल एविएशन अथॉरिटी ने जताया दुखउनके बलिदान को सलाम करते हुए जनरल सिविल एविएशन अथॉरिटी ने कहा है कि, हम उपरवाले के शुक्रगुजार हैं कि उसकी दया के चलते एक बड़ा हादसा टल गया। लेकिन, हमें इस बात की दुख है कि इसमें हमारे एक बहादुर फायर फायटर की मौत हो गई, जो दूसरों की जिंदगी बचाने में लगा था।दोस्तों ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट की तस्वीरजसिल के दोस्तों ने इंस्टाग्राम पर जसिल की फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि, 'हम भगवान के हैं और भगवान से हम दुआ करेंगे कि दुबई विमान हादसे का शिकार हुआ जसिल को हमें वापस कर दें। भगवान उन पर दया जरूर करेंगे।'जसिल के शहादत पर गर्ववहीं, यूएई के प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने जसिल की शहादत पर संवेदना व्यक्त करते ट्वीट किया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'हम शहीद जसिल के परिवार और दोस्तों के हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं। भगवान उनके परिवार और रिश्तेदारों को इस दुख की घड़ी नें सांत्वना और धैर्य प्रदान करें। उन्होंने आगे लिखा, 'जसिल के शहादत पर हमें गर्व है। साथ ही हमें अपने युवाओं पर गर्व है, जो अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए हादसे के दौरान लोगों कोसुरक्षित निकाला। संयुक्त अरब अमीरात की कई पीढ़ी इस बलिदान और जाबांजी को याद रखेगा।'दुबई एयरपोर्ट के सीईओ पॉल ग्रिफिथ्स ने कहा, 'मैं जसिल की मौत पर काफी दुखी हूं।'उन्होंने कहा कि, जसिल समेत इस हादसे के शिकार सभी सदस्यों के परिवार को हमलोग हरसंभव मदद करेंगे।'लैंड होने से पहले विमान को फिर से उड़ने के मिले थे आदेशस्थानीय मीडिया के मुताबिक, लैंड होने से पहले विमान को फिर से उड़ने के आदेश मिले थे और दूसरी कोशिश के लिए कहा गया था। तब तक विमान रनवे के करीब आ पहुंचा थाऔर फिर से ऊंचाई पर जाने की बजाय रनवे से टकराकर आग का गोला बन गया।।

इनसेट में जसिल हुसैन
जनाजे को कन्धा देते परिजन
जसिल हुसैन 226 भारतीयो की जान बचाने वाला

बुधवार, अगस्त 03, 2016

*मालाणी के मोहम्मद अली ने ईरान में थाईलैण्ड और इराक को चटाई धूल, भारतीय टीम को  पहुंचाया  क़्वार्टर फाइनल में।

रिपोर्ट-*रहमतुल्लाह खांन
जयपुर।  पश्चमी  राजस्थान के बाड़मेर जिले के सोखरू गांव निवासी मोहम्मद अली  ने तेहरान (ईरान) में 22 जुलाई 2016 से 31 जुलाई 2016 के  मध्य आयोजित 24 वीं एशियन जूनियर बास्केटबॉल प्रतियोगिता में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्तव किया और अपनी टीम के साथ उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन कर थाईलैण्ड और इराक टीम को धुल चटाते हुए क़्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया जहां पर भारतीय टीम लेबनान जैसी मज़बूत टीम से काफी संघर्ष के बाद नजदीकी अंतर पर पराजित हो गई । इस प्रतियोगिता में एशिया की सर्वश्रेष्ठ 14 टीमों ने भाग लिया था जिसमे भारतीय टीम ने वर्ष 2004 के पश्चात् इस वर्ष अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए अंतिम आठ में जगह बनाई। इससे पूर्व मोहम्मद अली  ने बांग्लादेश में  एशियन क़्वालिफाइंग बास्केटबॉल प्रतियोगिता -2016 में भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्तव किया था जिसमे भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया था इसी तरह  वर्ष 2016 में पौंदूचेरी में आयोजित  राष्ट्रीय जूनियर बास्केटबॉल प्रतियोगिता में मोहम्मद अली ने राजस्थान टीम की कप्तानी थी। 
भारतीय टीम में खेलकर  उनके बाड़मेर आने पर उनके परिवार और जिला बास्केटबॉल संघ के पदाधिकारियों सहित सैकड़ों की संख्या में लोगों ने उनका माला पहनाकर भव्य स्वागत किया, मोहम्मद अली द्वारा  मालाणी क्षेत्र को गौरवान्वित करने पर जिले वासियों ने उन्हें बधाईयां दी। 
 बाड़मेर जिले के सोखरू गांव के निवासी मोहम्मद अली का जन्म 1998 में हुआ हाल उनका निवास मधुबन कॉलोनी बाड़मेर हैं  उनकी पढाई बाड़मेर शहर में हुई, पढाई के साथ- साथ उनकी खेल में बेहतर रूचि रही।  जिसके फलस्वरूप बास्केटबॉल की विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेते हुए  राज्य स्तर की बास्केटबॉल प्रतियोगिता में अच्छा खेल प्रदर्शन कर राजस्थान में जिले का नाम रोशन किया। उसके बाद उन्होंने कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) और कोलकाता (पश्चमी बंगाल ) में विभिन्न प्रतियोगिता में भाग लेकर अच्छा खेल प्रदर्शन किया। 
मोहम्मद अली के दादा अब्दुल रहमान खान वरिष्ठ बैंक अधिकारी रह चुके हैं अभी वे सेवानिवृत हैं और समाज सेवा में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं, उनके पिताजी बसीर खान चिकित्सा विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं वहीं चाचा सलीम खान और भाई रोशन खान पुलिस विभाग में कार्यरत हैं मोहम्मद अली को उनके शिक्षित परिवार ने पूरा साथ दिया, उनका हर तरह से सहयोग किया।।

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सोमवार, अगस्त 01, 2016

भाजपा अमीरो उधोगपतियों की पार्टी गरीबो से कोई वास्ता नहीं :-शालेह मोहम्मद

मेरदीन कलर मारवाड़ टाइम्स
पोकरण जिला परिषद् के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्यासी धावना धनदेव के समर्थन में विभिन गाँवो में किया जनसम्पर्क पूर्व विधायक शालेह मोहम्मद ने भाजपा पर कड़े प्रहार करते हुए कहा भाजपा अमीरो और उधोगपतियों की पार्टी है । गरीबो से कोई वास्ता नहीं है भाजपा का।।।  भाजपा सरकार हर मोर्चे पर विफल है ।इस अवसर पर शालेह मोहम्मद के साथ पूर्व जिला प्रमुख अब्दुला फ़क़ीर  पीसीसी सचिव #रूपाराममेघवाल,  #अन्जनामेघवाल  जिलाप्रमुख जैसलमेर, #आनंदीलालगुचिया अध्यक्ष नगर पालिका पोकरण, #अमतुल्लाहमेहर प्रधान साकड़ा, #अब्दुलरहमान पूर्व प्रधान साकड़ा, #खट्टनखाँ  सेवादल जिलाध्यक्ष  जैसलमेर,#रमेशमाली काँग्रेस नेता, #आरबमेहर सनावड़ा,#जतनादेवी उपाध्यक्ष जैसलमेर काँग्रेस,#सुमारखाँ पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष, #हाजीछोटूखाँकन्धारी,#नरेन्द्रसिंहपोकरणा बलाड़, #पुनमचौधरी, #कादरखांन पूर्व सरपंच स्वामीजी की ढाणी, #भगवानसिंहराजपुरोहित पूर्व सरपंच स्वामीजी की ढाणी,  #खेतसिंह दांतल कांग्रेस साइबर टीम के मोहम्मद मालिक आदि नेताओ ने काँग्रेस प्रत्याशी #डाॅधावनाधनदेव के समर्थन में आम सभाएँ की ।
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शनिवार, अप्रैल 30, 2016

राजस्थान की सबसे छोटी प्रधान मेंहर जगा रही शिक्षा कि अलख

पोकरण। सीमावर्ती व पिछड़े जिलों में देखा

जाता है कि लड़कियों को उच्च अध्ययन नहीं
करवाया जाता है जिसमें जैसलमेंर का नाम
भी काफी चर्चित है। बालिकाओं के बड़े
होने पर उन्हें घर के कामकाज में उलझा दिया
जाता है या शादी कर सुसराल भेजा जाता
है। पोकरण क्षेत्र के चाचा गांव हाल
स्थानीय निवासी एक युवती अपने सिर पर
बड़ी जिम्मेदारी होने के बावजूद निरंतर
अध्ययन कर आमजन को बालिका शिक्षा के
प्रति जागरुक कर रही है।जिसकी बात कर रहे
वो है राजस्थान की सबसे छोटी प्रधान
सुश्री अमतुल्लाह मेंहर जो जैसलमेंर जिले की
पंचायत समिति सांकडा प्रधान पद पर सेवाओं
दे रही वहीं साथ -साथ निरंतर पढाई भी कर
रही दोनों कार्य साथ करना काबिल ए
तारीफ हैं। पोकरण के चाचा गांव हाल कस्बे
के वार्ड संख्या एक निवासी रिटायर्ड कैप्टन
मौलवी रहमतुल्ला मेंहर की पुत्री पंचायत
समिति सांकड़ा की प्रधान अमतुल्लाह मेहर
एक बड़े पद पर होने के बावजूद भी अपनी पढाई
कर रही है। हर कोई इन्हें परीक्षा देता देख,
शिक्षा के प्रति जागरुक हो रहा है। गौरतलब
है कि प्रधान मेंहर स्नातकोत्तर पूर्वार्ध की
परीक्षा दे रही है। गुरुवार को उन्होंने अपने
परीक्षा केन्द्र राजकीय महाविद्यालय
पोकरण में अंग्रेजी साहित्य की परीक्षा दी।
वर्तमान में प्रधान अमतुल्लाह मेंहर को प्रदेश के
युवा कांग्रेस सचिव पद का जिम्मा सौंपा
हुआ है।
जगा रही शिक्षा की अलख
प्रधान अमतुल्लाह मेंहर आम दिनों में समिति
कार्यालय आकर कामकाज देखती है। इसके
बाद घर के कामों में भी हाथ बटाती है।
रात्रि के समय अथवा अलसुबह उठकर वह अपना
अध्ययन करती है। इसके अलावा जब वह
ग्रामीण क्षेत्रों के दौरे पर होती है, तो
विद्यालयों में जाकर बच्चों की कक्षाएं भी
लेती है ये सबसे बड़ी अच्छी रूचि जिसकी
आमजन तारीफ करते हैं और बालिकाओं का
हौंसला अफजाई करवाती हैं । विधार्थियों
से सवाल जवाब कर शिक्षा, विशेष रूप से
बालिका शिक्षा पर बल देते हुए आमजन में
शिक्षा की अलख जगा रही है। राजस्थान में
हुए चुनावों में जैसलमेंर जिले की पंचायत
समिति सांकडा की प्रधान पद पर कांग्रेस
पार्टी ने सभी ब्लॉकों से मेंबर विजयी होकर
पहुंचे तो पार्टी ने सबसे अच्छा निर्णय लेेते हुए
बालिका शिक्षा को बढ़ावा और हौंसला
बुलंद करवाने के लिए सुश्री अमतुल्लाह मेंहर
को पंचायत समिति सांकडा प्रधान पद की
प्रत्याशी घोषित की और विजयी होकर शुभ
मुहूर्त में प्रधान पद का कार्यभार संभाला।
उच्च शिक्षा का प्रत्येक बैठक, सभा,
समारोह में झलकता ही जाता है। प्रधान का
सम्बोधन शुरू होने के थोड़ी देर बाद ही
अग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल कर सभी लोगों
को सोचने को मजबूर कर ही देता है क्योंकि
वह लगातार शिक्षण कार्य कर रही है उसका
फल हैं निडर, बेखौफ, जनता को सम्बोधित
करना। प्रधान अमतुल्लाह मेंहर के हौसलें को
देखने से बालिकाओं के परिजनों को जरूर
शिक्षा मिलती है क्योंकि कई सीमावर्ती
इलाकों में बालिका शिक्षा पर कम जोर
दिया जाता हैं। बालिकाओं के परिजन
अपनी बालिकाओं को लगातार मेहनत
करवाने की जरूर सीख मिलेगी।

मेरदीन कलर  मारवाड़ टाईम्स के लिए

बुधवार, अप्रैल 13, 2016

डेल्टा थी हिन्दुस्तान कि बैटी: राहुल गाँधी

राहुल ने कहा कि छात्रा के साथ अन्याय हुआ है। राजस्थान की सरकार न्याय की राह पर नहीं है। छात्रा को न्याय दिलाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने गए प्रतिनिधि मंडल से भी उनका व्यवहार अशोभनीय रहा।

कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी सुबह 11:45 बजे सीमावर्ती त्रिमोही गांव पहुंचे। यहां दलित छात्रा की नोखा बीकानेर में मौत को लेकर उन्होंने सीबीआई से जांच की पैरवी की। राहुल ने कहा कि छात्रा के साथ अन्याय हुआ है। राजस्थान की सरकार न्याय की राह पर नहीं है। छात्रा को न्याय दिलाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने गए प्रतिनिधि मंडल से भी उनका व्यवहार अशोभनीय रहा। राहुल ने कहा कि दलित छात्रा को न्याय दिलाने के लिए कांग्रेस पार्टी हर समय तैयार रहेगी। भारती जनतापार्टी भले ही अंबेडकर की प्रतिमाएं लगाए, लेकिन उनकी तरह न्याय के सिद्धांत पर भी चले। राहुल गांधी यहां करीब आधा घंटा रुके। उन्होंने छात्रा को पुष्पांजलि दी। इसके बाद उसके पिता से मिल विश्वास दिलाया कि वो अकेले नहीं है, पार्टी उनके साथ खड़े रहकर न्याय के लिए संघर्ष करेगी। इस दौरान अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव हरिश चौधरी व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने उन्हें प्रकरण की पूरी जानकारी दी। छात्रा के परिवार का कहना है कि उन्होंने अपनी बेटी को बेटे की तरह पाला था, उसे किसी भी हाल में न्याय मिलना चााहिए, लेकिन उनकी बात कोई सुनने को तैयार नहीं है। अबतक हुई कार्रवाई से भी अवगत करवाया। राहुल ने यहां मौजूद दलित समाज के लोगों से बात कर पूरे घटनाक्रम को समझा। इसके बाद उन्होंने आंगन में जाकर छात्रा की मां से पीड़ा सुनी तथा ढाढ़स बंधाया। राहुल ने आश्वस्त किया कि न्याय की लड़ाई में वे हमेशा उनके साथ रहेंगे। दोपहर 12:20 बजे वे त्रिमोही से उत्तरलाई के लिए रहवाना हुए।

डेल्टा की न्याय के लिए ग़ांधी गडरारोड़ !!

(सफी बलोच सेड़वा बाड़मेर)

गडरारोड़ से 3 किलोमीटर दूर कच्ची बस्ती में दलित छात्रा डेल्टा का घर, वहां की हालात देखकर ही अन्दाज़ा हो जाता हैं की तालीम के लिए डेल्टा के पिता महेंद्र में कितना जूनून था।घर की हालात का आलम यह था की वहां बबूल की झाड़ियों से सटा घर जरूर था"लेकिन आसपास के लोगों से जब पूछा गया की महेंद्र के बारे में बताइए ? तो हर कोई एक ही बात बोलता रह गया की महेंद्र जी के परिवार में एक वक्त का खाना न मिलें तो चलता था लेकिन शिक्षा के सिवाय एक भी दिन नही।वैसे महेंद्र खुद एक पैराटीचर था कुछ महीनों पहले ही परमानेंट हुआ हैं उनका ख्वाब था की बेटे बेटियों को पढ़ाकर अपने घर की और बच्चों की जिंदग्गी बनाऊंगा.....घर के बहार पानी का एक झर-झर अवस्था में पानी का टांका जो 1990 के करीब बना हुआ दिखाई दे रहा था,एक मकान को छोड़ बाकि घर की हालात भी दयनीय थी ऐसी हालातों के बावज़ूद भी अपनी बेटी डेल्टा को बीकानेर के नोखा में तालीम के लिए भेजा" लेकिन तालीम के बजाय जालिम लोगों के हाथों उस लड़की के साथ पहले बलात्कार होता हैं और फिर पानी की टँकी में फेंक दिया जाता हैं।पिताजी की आँख से आसूं मानों सूख से गए हों जिस दिन यह सब सुना था और माता के दिल की और दिमागी हालात से समझ सकतें हैं की वह अपनी बच्ची के लिए कितना तड़प रही हैं

कुछ दिनों पहले राजस्थान पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट और तमाम कांग्रेस नेताओं ने डेल्टा के घर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की थी और परिवार को ढाढ़स बंधाया था।

लेकीन कल 9:34 पर ट्विटर से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल ग़ांधी ने ट्वीट कर बाड़मेर के गडरारोड़ डेल्टा के परिवार से मिलना और सांत्वना देने का प्रोग्राम रखा....11:47 पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल ग़ांधी जी डेल्टा के घर पहुंचे सबसे पहले डेल्टा को श्रद्धांजलि अर्पित की फिर डेल्टा के पिताजी को ढाढ़स बंधाया और डेल्टा की माँ से बात करते हुए कहा की डेल्टा हिंदुस्तान की बेटी थी उसके लिए हम हरसंभव सड़क से संसद तक संघर्ष करेंगे और सरकार को जल्दी cbi जांच करने का और डेल्टा के साथ हुए अत्याचार  दलितों पर हो रहें अत्याचारों पर भी ध्यान देने की बात कहीं और मिडिया से रूबरू होते हुए सरकार से सवाल किया डेल्टा मेघवाल हिंदुस्तान की बेटी थी, इंटेलीजेंट थी उसको मारा गया है, जिस प्रकार से रोहित को दबाया गया, यहाँ डेल्टा मेघवाल को दबाया गया है डेल्टा को इन्साफ मिलना चाहिये.....अब देखना यह हैं की सरकार क्या कदम क़दम उठाती हैं और कब तक डेल्टा के परिवार को न्याय मिलता हैं...लेकिन इसी बिच कुछ घण्टों पहले बीकानेर सांसद अर्जुन मेगवाल साहब ने यह कहकर अपने बीकानेर और समाज की लाज बचाली की पुलिस जांच कर रही हैं



सोमवार, जनवरी 18, 2016

क्यों विलुप्त हो रहा हैं रेगिस्तान का जहाज ?

मारवाड़ टाइम्स के लिए सफी बलोच
क्यों विलुप्त हो रहा है रेगिस्तान का जहाज"
राजस्थान के विशेषकर जोधपुर संभाग में रेगिस्तान का जहाज अक्सर हर घर में पाया जाता था।रेगिस्तान के जहाज की आजकल आधुनिक सुविधाओं को देखते हुए शायद प्रजातियों में कमियां आ रही है।एक वक्त था जब सवारी के लिए शादी में ऊंठ को श्रृंगार कर और दूल्हे को बैठाने के लिए खेत में हल जोतने के लिए दूरदराज से कुछ सामान लाने के लिए या लंबा सफ़र करने के लिए हमेशा ऊंठ की जरुरत रहती थी।रेगिस्तान का जहाज (ऊंठ) एक ऐसा पशु था जो दो-तीन दिन तक पानी नहीं पीता तो भी चल जाता था( बताया जाता है कि ऊंठ के पेट के अंदर इतना स्थान होता है पानी रखने का कि वह एक ही बार में पानी पी लेता है और तीन चार दिन तक वह ना पिए तो भी चल जाता हैं) ऊंट का मुख्य भोजन झाल( एक हरा वृक्ष जो रेगिस्तान में पाया जाता है) चारा (राजस्थान के अंदर एक फसल बोई जाती है गवार उसको कूटने और बीज निकालने के बाद जो कूड़ा करकट और पत्तियां बचती है उसको चारा बोला जाता है)और ऊंठनी का दूध कहां जाता है ताकतवर दूध होता है इसको पीने के बाद इंसान के अंदर ताकत आती है और दूर दृष्टि(नजर) भी अच्छी रहती है। एक समय था जब हर घर के आगे ऊंठ आपको बंधा हुआ मिल जाता था।लेकिन जैसे-जैसे आधुनिक साधन आने लगे उनमें विशेषकर ट्रैक्टर हल जोतने के लिए और सफ़र में जाने के लिए गाड़ियां scorpio zoylo  bolero camper माल ढोने के लिए जीप इत्यादि इत्यादि। उनको देखते हुए हर काम जल्दी होने लगा और हर आदमी ने ऊंठ पालना और ऊंठ को रखना बंद कर दिया।कुछ लोगों का यह भी तर्क है कि अक्सर ऊंठों को ईद के दिन कटाई होती है( विशेषकर बकरा ईद पर वह भी राजस्थान के कोटा संभाग में)इसलिए ऊंठों की जनसंख्या में गिरावट आई हैं। चूंकि यह तर्क रास नहीं आता इसलिए रास नहीं आता की समस्त भारत के अंदर बकरा ईद के दिन बकरे ज्यादा काटे जाते हैं, फिर भी बकरे आपको हर जगह पर दिखाई देंगे तो ऊंठ क्यों नहीं। कुछ महीने पहले राजस्थान सरकार ने ऊंठ हत्या पर जुर्माना और सजा भी मुकर्रर की है।सरकार के इस फैसले से ऊंठों की जनसंख्या में कितना फर्क आएगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन मेरा मानना यह है कि अब वह वक्त चला गया हैं।जब किसी चीज पर प्रेम मोहब्बत और लगन से आप काम करते हो और उसकी परवरिश करते हो तब उस चीज की उत्पत्ति में वृद्धि होती है और आप किसी चीज से मनमुटाव कर देते हो फिर वह विलुप्त होती जाती हैं।आज हमें यह विचार करना होगा कि जिसका इतिहास में नाम रेगिस्तान का जहाज प्रचलित हो वह इतिहास से तो खत्म नही हो रहा है।परंतु धरातल पर कहीं नजर नहीं आ रहा है।ऊंठों की प्रजाति धूमिल हो रही है वह हर जगह से विलुप्त हो रहा है आखिर क्यों हो रहा है ? इसकी वजह आज तक कोई नहीं जान सका सिवाय कुतर्को के।काश वह दिन वापस लौट आए"बसंत मौसम के दिन सुबह बरसात हो किसान के कंधे पर हल हो ऊंठ पीछे लिया हुआ खेत की ओर चले संध्या को वापस घर आए"गांव में शादियां हो 20/25 होंठों की कतार हो हर कोई ऊंट पर चढ़कर एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ करता हो। लेकिन ऐसा संभव नहीं होगा आज आधुनिक युग है हर कोई fortuner, scorpio, bolero camper, maruti swift, ऐसी के अंदर घूमने का जमाना है।वहां कहां रेगिस्तान के जहाज की बात हो वहां कहां पशुओं का प्रेम हो बस यही कहूंगा दिन चले गए, वह वक्त चला गया अफसोस के सिवाय कुछ नहीं हैं। एक शेर याद आ रहा है जाते-जाते लिख दूं !! और अपनी कलम को विश्राम दूं !!  विचार जरूर कीजिएगा कि हमारे रेगिस्तान के जहाज को आज हम क्यों भूल गए और क्यों नहीं हम याद कर रहे हैं ?????????????
उम्र भर खाली यूँ ही दिल का मकाँ रहने दिया..तुम गए तो दूसरे को फ़िर यहाँ रहने दिया..उम्र भर उसने भी मुझ से मेरा दुख पूछा नहीं..मैंने भी ख्वाहिश को अपनी बेज़बाँ रहने दिया।

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