हेलो दोस्तो में हु मेरदीन कल्लर Merdeen kallar आज आपके लिए लेकर आया हु हमारे गांव एक ऐसी दिलचस्प जानकारी जो शायद ही कही अपने देखी हो। दोस्तो दुनिया में यू तो कई तरह की रीति रिवाज है कई अलग अलग नियम व्यस्थाये है और आज के डिजिटल युग मे तो ओर भी कई तरह की चीजें जो हर कोई अपने अपने स्तर पर अपनी अलग पहचान रखती ही है । और तो ओर आज के युवाओं की सोच जो समय के साथ साथ बदलती जा रही है । बुजुर्गों की सोच से अगर युवाओ की सोच की तुलना करें तो बहुत फर्क महसूस होता है। और तो ओर यकीन भी नही होता बुजुर्गों को युवाओ की सोच पर ओर युवाओ को बुजुर्गों की सोच पर। ओर आज कल किसी को अपने यहां आमंत्रित करना हो तो आज कल तो व्यक्तिगत फोन या बुलावा आये तभी लोग उसको अपना खास मित्र मानकर बुलावा स्वीकार करते है। लेकिन हमारे गांव जालोड़ा में आज भी एक ऐसी परंपरा है जो वाकई अजीबो गजब है। क्या आप यकीन करेंगे कि कोई एक शख्स जोर से गांव में आवाज लगाये ओर पूरा गांव उसको आमंत्रण मान के उसके घर पहुच जाए। जी हां बिल्कुल पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर मे जालोड़ा पोकरण गांव में आज भी ऐसा ही होता है। शादी व्याव हो या सगाई संबंध जब गांव में रैवण की जाती है तब गांव में किसी को घर घर जा के या किसी को व्यक्तिगत आमंत्रण की जरूरत नही है । जब किसी के घर रैवण हो तो गांव के बीच जा कर एक ऊंची जगह पर चढ़ कर जोर से चार पांच आवाज लगाई जाती है जिसमे किसके घर रैवण है और किस तरह की रैवण है जैसे सगाई या बारात वापस आना या बेउँदा ( मुकलावा ) का ज़िक्र कर के वही आवाज चार से पांच बार जोर से दोहराई जाती है। उसके बाद गांव के लोग सब इकठा होना छुरु हो जाते है और देखते ही देखते कुश ही समय मे आमंत्रित करने वाला घर गांव वालों से भर जाता है।
रैवण क्या है
गांव के जब भी कोई निर्णय लेना होता है या किसी की सगाई होती है या किसी के घर शादी समारोह है । उस वक़्त गांव के सभी लोगो को आमंत्रित कर के चाय पिलाई जाती है तथा गांव के सभी लोगो के समेलन को मारवाड़ में रैवण कहा जाता है। रैवण का आयोजन तो मारवाड़ के ज्यादातर गांवों में होता रहता है। अ लेकिन जिस तरह जालोड़ा पोकरण गांव में एक ही आवाज पर लोग इकठा होते है ऐसा ओर कही नही।
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