बाड़मेर जिले की सेड़वा पंचायत समिति की जानपालिया ग्राम पंचायत के अंदर एक परिवार ऐसा भी हैं।जहां समस्त भारत दुःख खुशी और जद्दोजहद की जिंदगी जी रहें हैं, वहां एक परिवार ऐसा भी है, जिसमें परिवार के सदस्यों की संख्या पच्चीस, एक बुढ़ा बाप टीबी का मरीज़ माँ हाथ पैरों से उठ बैठ नहीं सकती, बड़ा भाई लाइट के करंट से अंपाहिंज, चार बहनें बड़ी कुछ सालों पहले आत्महत्या कर दी.. उसकी चार दो छोटी मासूम बच्चियाँ..एक उससे छोटी और उसका पति भी उसी घर के अंदर, दो बहनें अभी भी कुंवारी... और घर के अंदर कमाने वाला शख्स एक.. नाम मेहरियाँ(मेहरदीन) मंगलिया उसकी खुद की हालत यह है की उसके शरीर के पीछे रीड की हड्डी को पोलियो है.. सेड़वा के अंदर पूरा दिन लारी खींचकर दो चार सौ रुपये हासिल करता है और अपने पच्चीस परिवार के घर को चलाता हैं।मैं जब भी उससे बात करता हूँ और वह अपना दुःख इस कद्र बयान करता है की मेरे शरीर का हर वह बाल और दिलों की धड़कन मानों एक आवाज दे रहीं हो, की काश यहां भी सरकार और संस्थाओं की नज़र पहुँचे।माँ बाप की पेंशन आए को महीना गुजर चुका है, बड़ी बहन की बच्चियाँ यही हर वक्त सवाल करतीं है मामा कपड़े लाए, मामा बिस्कुट लाया, अब उन्हें यह मालूम नहीं बेचारा मामा पूरा दिन कड़कती धूप के अंदर अपनी पतली बाॅडी सर्ट के पीछे से पसीना मानों गरीब की ईमानदारी का सबूत दे रहा हो, हर वक्त आवाज लगाता यही कहता... गरीब की लारी गरीब लारी... यह शब्द सुनकर इंसानियत की इतिंहा और आँसुओं की धार हिंद महासागर के तालाब की तरह नमकीन होकर आँखों से निकलकर जुबान तक इसका अहसास कराते है।आज हम यह देखकर खुश है की हमारे आसपास सब खुश है सब आनंद के अंदर जिंदगी जी रहें है...
ग्राम पंचायत जानपालिया के सरपंच और सेड़वा पंचायत समिति के प्रधान और चौहटन विधानसभा के विधायक,बाड़मेर जैसलमेर के सांसद महोदय, बाड़मेर जिला प्रमुख महोदया और तमाम राजनीति शख्सियत और तमाम सार्वजनिक संस्थाओं
से विनती इस गरीब का थोड़ा सहारा बनिए और थोड़ा इसका दुःख दर्द समझिए... एक बार आँखों से घर परिवार का दृश्य देखिए माँ कसम इस धरती पर भी एक मसीहा एक गरीब को गरीबी के अंदर देखोगे...
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गरीबी के हौसले के लिए...
Safibloch86@gmail.com
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