मिश्क़ात शरीफ़, भा ग 1, पेज 170 की हदीस शरीफ है कि जब अल्लाह तआला ने पृथ्वी को पैदा किया, तो ज़मीन हिलने लगी, तो अल्लाह तआला ने पहाड़ों को बनाया और पहाड़ों से ज़मीन का हिलना बंदहो गया। पहाड़ों की मज़बूती और ताक़त से आश्चर्य करते हुए फ़रिश्तों ने कहा कि ऐ हमारे परवरदिगार! क्या तेरी मख़लूक़ में पहाड़ों से भी बढ़कर कोई शक्तिशाली चिज़ है? तो अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि हाँ "लोहा" पहाड़ों से भी बढ़कर शक्तिशाली है। तो फ़रिश्तों ने कहा कि ऐ हमारे परवरदिगार! क्या लोहे से भी बढ़कर शक्तिशाली कुछ है? तो कहा कि हाँ "आग" लोहे से भी अधिक शक्तिशाली है। तो फ़रिश्तों ने कहा कि ऐ हमारे परवरदिगार! आग से भी ज्यादा कोई ताक़तवर चीज़ है? तो कहा कि हाँ "पानी" आग से भी अधिक शक्तिशाली है। तो फ़रिश्तों ने कहा कि ऐ हमारे परवरदिगार! क्या तेरी मख़लूक़ में पानी से भी अधिक शक्तिशाली कुछ है? तो कहा कि हाँ "हवा" पानी से भी अधिक शक्तिशाली है। तो फ़रिश्तों ने कहा कि ऐ हमारे परवरदिगार! क्या तेरी मख़लूक़ में हवा से भी अधिक शक्तिशाली कुछ है? तो फरमाया कि हां मनुष्य का सदक़ा (दान) अपने दाहिने हाथ से इस तरह अदृश्य करके "दान" दे कि बाएं हाथ से भी छिपाए, यह हवा से भी अधिक शक्तिशाली है।मतलब यह है कि दान बहुत बड़ी शक्ति वाली चीज़ है कि इससे बड़ी-बड़ी खतरनाक बलाएं टल जाती हैं और बड़ी-बड़ी मुश्किल मुरादें "दान" की बदौलत हासिल हो जाती हैं और बड़े-बड़े महत्वपूर्ण काम"दान" की बरकत से पूरे हो जाते हैं ।मुफ़्ती सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ीख़लीफ़ाः ह़ुज़ूर ख़्वाजा सय्यद महबूबे औलिया व इस्लामिक धर्म गुरु
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