इस देश के असली स्वाभिमान चले गए।।
धर्म को अकेला छोड़ विज्ञान चले गए।
एक साथ गीता और कुरान चले गए।।
मानवता के एकल प्रतिष्ठान चले गए।
धर्मनिरपेक्षता के मूल संविधान चले गए।।
इस सदी के श्रेष्ठ ऋषि महान चले गए।
कलयुग के इकलौते इंसान चले गए।।
ज्ञान राशि के अमित निधान चले गए।।
सबके प्यारे अब्दुल कलाम चले गये
सेवा तो इण देश री, करी घणी कलाम।
जातोङा हंसला तनै, भारत करै सलाम।।
लिखता तो रोवै कलम, कठै गयो कलाम।
आखर संग कागद करै, आँसू भरया सलाम।।
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