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सोमवार, जुलाई 06, 2015

अठारहवें रमज़ान 2015 पर विशेष “रोज़ा” कमज़ोर वर्ग के साथ सहानुभूति करता ह

रोज़ा इंसान में समाज के कमज़ोर वर्ग के साथ
सहानुभूति व समरसता की भावना उत्पन्न करता है।
रोज़ेदार अपनी कुछ देर की भूख-प्यास से अपनी
भावना को विकसित कर लेता है और वह भूखे और
प्यासे लोगों की स्थिति को बेहतर ढंग से समझता है
और जिसने अपने अधीनस्थ लोगों के अधिकारों का
हनन नहीं किया है और उनकी पीड़ाओं व समस्याओं से
निश्चेत नहीं रहा है, उसके जीवन में नया रास्ता खुल
जाता है। निर्धन व वंचित इंसान के प्रति रोज़ेदार
की सच्ची सहायता उसके बहुत से पापों के क्षमा होने
का कारण बनता है। इसी तरह रोज़ेदार की निष्ठा से
भरी सहायता उसके सद्कर्मों में रह गयी कमी की
भरपाई कर देती है। एक रिवायत में हज़रत अली
अलैहिस्सलाम फरमाते हैं “निर्धन व वंचित लोगों की
सहायता और दुःखी व परेशानी से ग्रस्त लोगों की
समस्या का निदान, पापों को क्षमा करने के
साधनों में से है”। पवित्र कुरआन के सूर-ए-हूद की
तीसरी आयत में भी इस संबंध में आया है... “अच्छा व
भला कार्य इंसान के पापों के समाप्त होने का
कारण बनता है”।
मुफ़्ती सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ी
ख़लीफ़ाः ह़ुज़ूर ख़्वाजा सय्यद महबूबे औलिया व
इस्लामिक धर्म गुरु

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