आज खुद को सार्वजनिक और राजनितिक व्यक्ति कहते हुए बड़ा शर्मिंदा महसूस कर रहा हूँ। मुझे पता है कि दिल से सोचने वाले व्यक्ति को राजनितिक और सार्व जनिक जीवन नहीं जीना चाहिए क्यू कि राजनीती तो सिर्फ दिमाग से सोचने वालों का खेल है। भावनाओं से खेलने वाले लोग किसी की छाती पर पैर रख के ऊपर चढ़ने की कोशिश करने वाले लोग ही राजनीती कर सकते है।
फिर एक औरत और एक बच्चा मौत की गर्त में चला गया फिर उदासीनता और व्यापार के चलते ममता शर्मसार हो गई।
हद तो जब हो गई जब जैसलमेर के विधायक छोटू सिंह जी से मैंने पूछा कि विधायक महोदय ये डॉक्टर कब तक जैसलमेर में रहेगी कितने और घर ऐसे बर्बाद होंगे तो विधायक महोदय भड़क गए और मुझसे कहा आप होते कौन हो मुझसे पूछने वाले? मैंने कहा माननीय मैं इस शहर का एक जागरूक नागरिक हूँ भले ही मेरा रिश्ता उस औरत से सीधा नहीं परंतु क्या मेरा उससे मानवीय रिश्ता नहीं? उन्होंने कहा आपको बोलने का अधिकार नहीं। मैंने कहा आप उस कसाई डॉक्टर को शय देकर मेरी आवाज़ दबा नहीं सकते। मैं आज जो मांग कर रहा हूँ उससे मैं इस माँ बहन की जिंदगी तो नहीं बचा सकता परंतु यह डॉक्टर यदि जैसलमेर में रही तो क्या पता कल मुझे मेरे घर मेरे रिश्तेदार जाति समाज शहर जिले से न जाने किस माँ बहन की जिंदगी को दांव पे लगाना पड़ेगा। क्या पता कौसी माँ बहिन इस डॉक्टर का अगला शिकार होंगी।
आज उसे apo करने का आश्वाशन देकर पीड़ितों का मुकदमा भी जनता और प्रतिनिधियों के बीच बचाव से दर्ज हो पाया है। मैं दावे के साथ कहता हूँ यही प्रतिनिधि यही विधायक महीने दो महीने में इस डॉक्टर को हर हालत में जैसलमेर में पदस्थापित कराएँगे हम देखते रहेंगे हाथ जोड़ जोड़ कर साहब साहब करते रहेंगे। कसाइयों का व्यापार चलता रहेगा जैसलमेर का आदमी सोता रहेगा। जब उसके खुद के उंगली के लगेगी तब जगेगा तब इधर उधर देखेगा मदद के लिए। क्यू कोई और मददगार आएगा आज तुम कौनसे मदद को आये।
माँ तुझे सलाम के कार्यकर्ताओं से मेरा पुन निवेदन है कि वापिस चेतन हो जाओ। अपनी और जिले की कई माँ बहनो के जीवन को बचाओ और जैसलमेर के लिए नए डॉक्टर मंगवाओ।
लीलाधर दैया
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