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शनिवार, अक्तूबर 17, 2015

काला पानी नहीं कोहीनूर है बाड़मेर शम्मा खान

बात 2012 की हैं सहरा बाड़मेर के गांव के वाशिन्दों की मुश्किलात और यहां की जिन्दगी के फलसे से बहुत कुछ सीखने वाले तब फिर थार के इस बियबान की बात मुल्क की राजधानी में राष्ट्रीय स्तर पर तत्कालीन चौहटन प्रधान शम्मा खान ने रखा था। यहां के लोगो ने बिना बरखा और नव सरकारी पेयजल आपूर्ति के बिना इस तरह पानी को रजत बून्दो की तरह सहेजा है और पानी को जीवन का एक अंग नहीं बिल्कुल जीवन का आधार माना है। इस बात को यूनाईटेंड नेशनल डवलपमेन्ट प्रोग्राम के राष्ट्रीय स्तरीय बैठक में रखा था  फिर बाड़मेर का नाम और सिर फक्र से ऊंचा करने का काम तत्कालीन चौहटन प्रधान शम्मा खान ने किया था।  देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित हुई यूएनडीपी की राष्ट्रीय बैठक में तब राजस्थान की बात रखने वालो में शामिल रहे दो लोग। जिनमें तत्कालीन जिला प्रमुख और बाड़मेर की चौहटन की तत्कालीन प्रधान शम्मा खान शामिल रही थी। नई दिल्ली में आयोजित इस बैठक में देशभर से पहुचे विभिन्न अधिकारियों के बीच पश्चिमी राजस्थान के रेतिले ईलाके में विभिन्न आधारों पर हुए विकास कार्य के साथ साथ तेजी से बदलते परिवेश के अलावा इस क्षैत्र में पुख्ता जल प्रबंधन को लेकर तत्कालीन चौहटन प्रधान ने अपनी बात रखी थी। तय समय सीमा के तहत दिये गये पांच मिनट के वक्त को तत्कालीन चौहटन प्रधान के प्रस्तुतिकरण को देखते हुए ब़ा दिया गया। अपने 30 मिनट के उद्बोधन में उन्होने पश्चिमी राजस्थान के वाशिन्दो की बेहद कम वर्षा में भी वर्षो से चली आ रही पानी को लेकर सफल मित्तव्ययता की भावना और शानदार पेयजल संग्रहण की विधियों को बेहद सलीके से रखा। उन्होने कहा था कि पश्चिमी राजस्थान में पानी को सहजना किसी धर्म, जात और वर्ग से ब़कर एक परम्परा हैं। और बरसों से इस परम्परा का निर्वाहन करना यहां के लोगो का फर्ज बन पड़ा है। यहां के जल प्रबंधन से ना केवल देश भर को बल्कि सात समन्दर पार से आने वाले शोधार्थियों को भी प्रभावित किया है। उन्होने कहा था कि जिस रेतीले इलाके को काले पानी का दर्जा दिय गया है और यहां के लोगो को रेत से नहाते है इस बात को जहां भर में फैलाया गया हैं। उसी बाड़मेर में पानी के तलाबो के नाम पर पार के गांव, जैसलमेर में सागर के गांव और बीकानेर में समन्दर का अर्थ वाले सर के नाम के गांव सबसे ज्यादा है। प्याऊ बनाना यहा की परम्परा रही है। यह आज भी जारी है। ऐसे में पानी को लेकर इस ईलाके को काला पानी कहना बेमानी है। पानी की कमी से पहचाने जाने वाले इलाके से बदनाम पश्चिमी राजस्थान के एक जनप्रतिनिधि की इन बातो पर ना केवल यूएनडीपी के हर सदस्य सकारात्मक सहमति देता नजर आया वहीं इस राष्ट्रीय बैठक में तत्कालीन चौहटन प्रधान की इस बात को नई पहल में लेते हुए यूएनडीपी के नवीन वित्तिय वर्ष में राजस्थान को एक खास राज्य का दर्जा देने की बात को सहमति प्रदान की गई थी। तत्कालीन चौहटन प्रधान ने अपनी पूर्ण प्रस्तुति और अपनी बात को बाड़मेर की आवाज का दर्जा दिया और कहा कि सही बात को हर जगह रखना आज की महत्ती आवश्यकता हैं। --

जल ही जीवन है जल ही पहचान जल बचाईए जिंदगी बचाईए !&
शिक्षा लीजिए शिक्षित बनिए सोच बदलिए देश बदलिए !

Safibloch86@gmail.com

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