कुछ महीने पहले महाराष्ट्रा में भड़काऊ और गद्दार कहे जाने वाले असदुद्दीन औवेसी ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर बड़ी रैली की थी। उस रैली में न तो कुछ एसा बोला गया जो देश व संविधान के खिलाफ हो और न ही पुलिस की गाड़ियों पुलिस स्टेशनों को आग लगाई गई, न किसी मंत्री का घर फूंका गया। बावजूद इसके शिवसेना ने आरक्षण मांग रहे मुसलमानों को पाकिस्तान चले जाने को कह दिया। अखबारों में रैली की मांगों को कम और शिवसेना को ज्यादा तरजीह दी गई। अब विकास का एक मात्र माडल कहे जाने वाले गुजरात में बीते 24 घंटे से हिंसा जारी है, सैंकड़ों की संख्या में सरकारी वाहन फूंकदिये गये हैं दर्जन भर पुलिस स्टेशन आग के हवाले कर दिये गये हैं। यह वह समुदाय है जो एक लंबे अरसे से सूबे में सत्ता में रहा है। आज भी राज्य में उसी समुदाय का मुख्यमंत्री है। बावजूद इसकेउन्हें आरक्षण चाहिये इसलिये सरकारी समपत्ती को फूंका जा रहा है। मुसलमानों कभी इस तरह से देश की संपत्ती को आग नहीं लगाई आजाद मैदान महज एक अपवाद है। उसके बावजूद भी मुस्लिम आरक्षण के नाम पर कथित सैकुलर और गैर सैकुलरों के सीने पर सांप लौट जाता है। कोई यह नहीं कहता कि मुस्लिम आरक्षण नहीं बल्कि अपना हक मांग रहे हैं। उन्हें अहसास ए कमतरी में धकेलने के लिये पाकिस्तानी कह दिया जाता है। कुछ लोग तो कुतर्क करते हुए यहां तक आ जाते हैं मुसलमान कम बच्चे पैदा करें आरक्षण की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। जो मसला मुसलमानों की तरक्की से जुड़ा होता है उसे काउंटर करने के लिये रातों रात कुतर्क तैयार कर लिये जाते हैं। समाजवाद से लेकर गरीबी हटाओ वालों तक और बहुजन सुखाय से लेकर सबका साथ सबका विकास वालों तक कोई भी मुस्लिम आरक्षण को पचा ही नहीं पाया। जबकि मुस्लिम आरक्षण महज मुस्लिमों की ही जरूरत नहीं इस देश की जरूरत है। 14% आबादी को गर्तमें धकेल विकसित देश कभी नहीं बनेगा। मुसलमानों के साथ धर्म के आधार पर हो रहे इस अन्याय को बंदकिया जाये और आरक्षण दिया जाये।
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