सीमावर्ती तेहसील गडरा रोड के अंतर्गत ग्रीफ में काम करने वाले गरीब मजदूरों को इस सरकार ने बहार का रास्ता दिखा दिया है..तपती गर्मी और ठिठुरती ठण्ड में और इन आंधियो में दिन रात सड़को पर रेत हटाने वाले मामूली तनख्वाह पर काम करने वाले इन मजदूरों को उनकी ईमानदारी का ईनाम मिला है इस सरकार ने पहले से ही कांग्रेस द्वारा गरीबो के लिए लायी गयी नरेगा योजना को अमीरों और ठेकेदारों का पैसा बना लिया है अब बचे हुए गरीब ग्रामीण जो ग्रीफ में काम करके अपनी आजीविका चलाते थे उन्हें भी अब बेरोजगार कर दिया है वैसे तो ये मामूली तनख्वाह थी मगर इन मजदूरों के चूल्हे इसी से जलते थे यहाँ काम करने वाले ऐसे मजदुर थे जो मजदूरी के लिए पलायन नही कर सकते थे क्योंकि पीछे घर की रखवाली ये खुद ही करते थे या ये ऐसे मजदुर थे जो किसी कारण वस दूसरे राज्य में जाकर मजदूरी नही कर सकते थे मगर सरकार द्वारा इनकी मज़बूरी पर कोई ध्यान नही दिया गया और तुगलकी फरमान सुनाकर इन्हें ग्रीफ से निकाल दिया वो भी विशेष वर्ग के लोगों को वेसे खुद को गरीबो,दलितों,अल्पसंख्यको की हितैषी मानने वाली भाजपा सरकार ने उन्ही लोगों को बहार किया है या वो अल्पसंख्यक या मुसलमान थे या फिर अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग थे..आजादी के 68 साल बाद भी भाजपा का ये भेदभाव अभी तक ज़ारी है जिसकी वजह से कई गरीब मजदूरों के चूल्हे ठन्डे पड़े है इसलिए सभी समाजसेवकों से अनुरोध है की ग्रीफ के मजदूरों के साथ जो अन्याय हो रहा है उसका विरोध कर ग्रीफ जे मजदूरों को उनका हक़ वापस दिलवाया जाये।।।।।।
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